/ Mar 13, 2025
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मध्यप्रदेश भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष, सांसद और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रहे प्रभात झा जी का अवसान हृदय विदारक घटना है। उनका जाना मेरे जीवन की अपूरणीय क्षति है। वे निष्काम कर्मयोगी एवं कुशल संगठक थे।
सर्वप्रथम 1993 से 2002 के दौरान मीडिया प्रभारी के रूप में मुझे उनका सतत मार्गदर्शन मिलता रहा। समाचार हो या लोक व्यवहार उनके ही सानिध्य में रहकर में उच्च शिक्षा हासिल करने में सक्षम बना। प्रभात जी मेरे पालक के रूप में मुझे हमेशा आगे बढने का रास्ता दिखाते रहे। किसी भी राजनैतिक दल में मीडिया की क्या भूमिका हो सकती है यह प्रभात जी ने प्रभारी के रूप में पूरे देश में करके दिखाया। समाचार लेखन में छोटी-छोटी त्रुटि होने पर वे डांटते नहीं थे बल्कि सामने बैठाकर सिखाते थे। किसी भी कार्य को करने के लिए धैर्य और कठिन परिश्रम करने की शिक्षा उनसे मिली। मैंने 2002 में पीएचडी के लिए फार्म भरा तब प्रभात जी बहुत खुश हुए और कहा बहुत जल्द बच्चा डॉक्टर बनेगा।
राजनीति को काजल की कोठरी भी कहा जाता है परन्तु वर्षो से राजनीति करते हुए उनके उपर रत्तीभर आरोप नही लगे बल्कि उन्होने राजनीति में शुचिता लाने के लिए प्रतिबद्धता जाहिर करते हुए पार्टी के कार्यकर्ताओं को अनुठा उदाहरण पेश किया था और सार्वजनिक जीवन जीने वालों को अपने खर्चे का ब्यौरा सार्वजनिक करने पर जोर दिया था। प्रभात झा जी पत्रकारिता समाज के ऐसे दर्पण थे जिसमें समाज में घटित समस्त घटनाओं को देखा जा सकता है। यदि यह दर्पण धुमिल होने की स्थिति में हो तब इसे सरंक्षित या सम्बर्धन की जिम्मेदारी केवल इससे जुडे लोगो की ही नही अपितू समाज के बृद्धिजीवी वर्ग और चिन्तनशील लोगों की भी है। पार्टी के पितृपुरूष कुशाभाऊ ठाकरे का राजनैतिक नेतृत्व से उनमें क्रांति की ज्वाला धधक उठी। पं. दीनदयाल उपाध्याय के एकात्म मानव दर्शन ने उन्हें संस्कार दिये। यही आदर्श वाक्यों को आत्मसात करते हुए वर्षों से पत्रकारिता से जुड़े रहने के बावजूद सक्रिय राजनीति में कार्य करते हुए अन्याय के प्रति जुझारू, सहज, सरल राजनेता के अलावा अनन्त परिश्रमी और बौद्धिक सम्पदा के बल पर पार्टी के मध्यप्रदेश के राजनीति के शिखर पर पहुंचे।
मध्यप्रदेश को देश में भारतीय जनता पार्टी का तपोभूमि कहा जाता है। ऐसे प्रदेश में प्रभात झा जी ने संगठन की कमान संभाली थी। किसी भी राजनैतिक व्यक्ति के लिए प्रदेश के 600 से अधिक मंडलों तक पहुंच पाना मुश्किल ही नही बल्कि नामुमकिन होता है परन्तु प्रभात झा जी ने अपने कार्यकाल में संकल्प लिया था कि वे मंडल स्तरीय कार्यकर्ताओं से रूबरू होंगे। उन्होंने अल्प समय में ही मध्यप्रदेश जैसे विस्तृत प्रदेश का 600 से अधिक मंडलों तक के कार्यकर्ता के पास पहुंचकर उन्हें स्नेह, स्पर्श और उल्लास का संचार किया था। प्रभात जी ने प्रतिदिन की कार्यक्रम की रूपरेखा बनाकर जनता तक पहुंचने के लिए संगठन तथा पार्टी के कार्यकर्ताओं को ही नही राजनेताओं को भी समाज के अतिंम पंक्ति के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचने में मजबूर कर दिया था। उन्होंने यह बता दिया था कि यदि पूरी क्षमता के साथ कार्य किया जाता है तो संगठन क्षमता के साथ-साथ कार्यकर्ताओं में उत्साह का संचार होता है। उन्होने अपने आपको एक आदर्श कार्यकर्ता स्थापित किया था, जिससे प्रदेश के कार्यकर्ताओं में सहज उपलब्ध होने के कारण आदर्श मित्र, भाई और मार्गदर्शक साबित हुए। प्रभात झा जी हमेशा कहते थे ‘‘कुछ लोग इतिहास पढ़ते है लेकिन भारतीय जनता पार्टी का कार्यकर्ता इतिहास गढ़ता है। उनके यह शब्द हमेशा याद आते रहेंगे।
भारतीय जनता पार्टी में मेरे जीवन के 31 वर्षो में प्रभात झा जी को संगठन, संघर्ष और समर्पण की राह पर चलते देखा और उन्होने कार्यकर्ताओं को बता दिया था कि अब राजनीति सादगी और जनता के प्रति समर्पण से ही उनका दिल जीता जा सकता है।
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