/ Mar 13, 2025
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25 लाख दीयों की जगमगाहट के साथ एक बार फिर रामजन्म भूमि में दीपोत्सव का आयोजन किया गया। सरयू घाट पर लगाए गए दीयों से लोगों के घर के साथ ही जीवन भी रौशन हो रहा है। दीपोत्सव के बहाने स्थानीय महिला कारीगरों के बनाए गए दीयों की मांग खूब बढ़ जाती है, राज्य सरकार के हस्तक्षेप के कारण कारीगरों को अपने मेहनत के अनुसार दीयों पर शुल्क भी अच्छा मिल जाता है। कुल मिलाकर दीपोत्सव और पीएम मोदी के ‘वोकल फॉर लोकल’ मंत्र के कारण केवल सरयू घाट ही नहीं पूरी अयोध्या नगरी और महिलाओं का जीवन भी रौशन हो रहा है।
अयोध्या निवासी 34 वर्षीय पुष्पा ने बताया कि बीते दो साल से उनको दीपावली के समय खरीददार ढुंढने की जरूरत नहीं पड़ती, एक साथ हजारों दीये खरीद लिए जाते हैं, जिससे उनकी मेहनत का फल तो मिलता ही साथ ही आमदनी भी ठीकठाक हो जाती है। पुष्पा दीपोत्सव के लिए एक महीने पहले से दीए बनाने शुरू कर देती है। कुछ दीए डिजाइनर होते हैं जबकि कुछ साधारण, लेकिन खरीददारों को दोनों ही तरह के दीए चाहिए होते हैं। सरयू घाट से कुछ दूर पर रहने वाली शांति देवी ने बताया कि वह दीए बनाने का काम करती हैं, जबकि उनके पति रूई बेचते हैं, दीपोत्सव के कारण दोनों को ही अच्छे खरीददार मिल जाते हैं। अब उन्हें अपना सामान बेचने के लिए मंडी या लखनऊ नहीं जाना पड़ता। शांति देवी कहती हैं कि केवल दीपोत्सव ही नहीं रामजन्म भूमि में मंदिर निर्माण से उनकी जिंदगी ही बदल गई है। स्थानीय कारीगरों को अब काम के लिए कहीं और नहीं भटकना पड़ता, 23 जनवरी 2024 को प्रभु श्रीराम लला की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी इसके बाद तो हमारा अयोध्या में रहना और जीवन ही सफल हो जाएगा।
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