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फर्जी मृत्यु प्रमाण_पत्र लगाकर 72 लाख की बीमा राशि हड़पने वाले 39 आरोपियों को पांच_पांच साल की सजा


_ कोर्ट ने 27 साल पुराने मामले में सुनाया फैसला, सीहोर, शाजापुर और राजगढ़ जिले की है आरोपी

_  मामले में कुल 50 आरोपी थे, इनमें से एक को कोर्ट ने बरी कर दिया है। वहीं 9 आरोपियों की मौत हो चुकी है।  

सीहोर। जिला सहकारी बैंक सीहोर, राजगढ़ और शाजापुर की सहकारी समितियों में फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र लगा कर करीब 72 लाख रुपए निकालने वाले 39 आरोपियों को दोषी पाते हुए न्यायालय ने पांच_पांच साल की सजा सुनाई है। इस मामले में कुल 50 आरोपी थे, इनमें से एक को कोर्ट ने बरी कर दिया है। वहीं 9 आरोपियों की मौत हो चुकी है।  

मंगलवार को प्रथम सत्र न्यायाधीश अर्चना नायडू र्बोडे ने 27 साल पुराने मामले में सुनवाई करते हुए दोनों पक्षों के वकीलों की दलली को सुनकर 1998 में सीहोर, शुजालपुर और राजगढ़ जिले की जिला सहकारी बैंक की साखाओं से एक बीमा योजना के तहत गबन करने वाले 39 आरोपियों को दोषी पाते हुए पांच_पांच साल की सज सुनाई है। लोक अभियोजक अनिल बादल ने बाताया कि शिकायतकर्ता बने सिंह ने सारंगपुर एसडीएम को प्रथामिक सहाकारी संस्था गुलावता में एकीकृत ग्रामीण विकास योजना के तहत राशि में अनियमितता होने के संबंध में शिकायती आवेदन दिया था। इसके बाद एसडीएम आरआर भोंसले ने बद्री प्रसाद नागर सहकारिता विस्तार अधिकारी से जांच कराई। जांच में पाया गया कि आरोपी अनिल कुमार वर्मा, यशवंत शर्मा, नरेश कुमार, नरेंद्र कुमार, अमृतलाल कारपेंटर शाखा प्रबंधक गुलावता सिद्धनाथ शिल्प गौड़  संस्था प्रबंधक सेवा सहकारी समिति एवं जिला सहकारी केंद्रीय बैंक मर्यादित शाखा प्रबंधक बंद्री प्रसाद गोस्वामी और लिपिक याशवत वैघ ने एक मत होकर एकीकृत ग्रामीण विकास योजना के हिग्राहियों के नाम समूह बीमा योजना के 527 खातों से फर्जी रूप से मृतक बीमा क्लेम की राशि 26 लाख दो हजार 745 निकाल कर धोखाधड़ी की है। बद्री प्रसाद नागर सहकारिता विस्तार अधिकारी सारंगपुर की शिकायत पर थाने में आरोपी के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई गई। इसके बाद जांच जारी रही। राज्य हस्तलिपि की रिपोर्ट मिलने बाद 18 और आरोपियों के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया गया। इस तरह कुल 50 आरोपियों के खिलाफ मामला न्यायालय प्रस्तुत किया गया। इसके बाद

 बीते 27 साल से यह प्रकरण न्यायालय में लंबित था।

11 सरपंचों ने जारी किए थे म‍ृत्य प्रमाण पत्र

तीनों से इस मामले में कुल 11 सरपंचों ने झूठे मृत्यु प्रमाण पत्र बनाए थे। इसमें अनिल कुमार वर्मा पत्नी मान कुमार वर्मा, शिवनारायण गौर, छितरमल, प्रेमनाराण गौर, देवेंद्र कुमार खाती, केवलराम मालवीय, गया प्रसाद कुर्मी, महेश पटेल पत्नी कामता देवी, बाबूलाल खाती, नंदकिशोर खाती, अब्दुल मजीद और मूलचंद चौहान शामिल थे। 


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