सीहोर नपा इतिहास की सबसे मजबूत परिषद ने भी अब तक किया निराश!





































सीहोर। पवित्र सलीला सीवन, शहर की जीवन दायिनी है। सीवन नदी की वजह से आधे शहर के जलस्त्रोत रिचार्ज रहते हैं और उद्योग (ईंट भट्टे), खेतों में भी सीवन नदी का पानी जीवन देने का काम करता है। लेकिन विडम्बना यह है कि शहर की यह जीवन दायिनी अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है। इसके उद्धार के लिए अब तक बड़े-बड़े दावे किए जाते रहे, लेकिन यह सभी खोखले साबित हुए। 
सीवन नदी के उद्धार की खास जिम्मेदारी शहर की महत्वपूर्ण संस्था नगर पालिका की होती है। विगत 20-25 साल की बात करें तो इस शहर ने हर नई परिषद से यही उम्मीद रखी थी कि यह परिषद सीवन नदी का उद्धार करेगी और शहर को निहाल करेगी। एक-एक कर पांच नपा अध्यक्ष बने, पार्षद बनें, लेकिन सभी ने निराश ही किया। विगत ढाई साल पहले बनी वर्तमान परिषद से भी शहर ने खासी उम्मीदें लगाई थी कि जोश-उमंग से भरी यह परिषद तो जरुर सीवन के जीवन के लिए सोचेगी, लेकिन अब तक इस परिषद से भी निराशा ही हाथ लगी है। 
अब तक के इतिहास की सबसे मजबूत परिषद
खास बात यह है कि विगत ढाई साल पहले सीहोर नगर पालिका की जो परिषद बनी है, वह सीहोर नगर पालिका के इतिहास में अब तक की सबसे मजबूत परिषद है। मजबूत इसलिए कि इस परिषद में भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष-राज्यमंत्री दर्जा प्राप्त सीताराम यादव, वर्तमान सीहोर जिला कांग्रेस अध्यक्ष राजीव गुजराती, कांग्रेस के पूर्व प्रवक्ता आशीष गेहलोत (प्रतिनिधि), सबसे ज्यादा बार जीत दर्ज करने वाले पार्षद कमलेश राठौर, विवेक राठौर पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष प्रतिनिधि सहित बगैर चुनाव लड़े निर्विरोध चुनाव जीतने वाले शहर में अब तक के सबसे कम उम्र के नगर पालिका अध्यक्ष प्रिंस राठौर हैं। बावजूद ढाई साल से अधिक समय बीतने के बाद भी इस परिषद ने अब तक शहर को सीवन उद्धार के मामले में निराशा ही दी है। 
दावे बड़े-बड़े...
सरकार द्वारा 30 मार्च से शुरू किए गए जल गंगा संवर्धन अभियान के अंतर्गत जिला प्रभारी मंत्री कृष्णा गौर, प्रदेश सरकार के राजस्व मंत्री करण सिंह वर्मा सहित जिला प्रशासन और जनप्रतिनिधियों द्वारा सीवन नदी के उद्धार के लिए गहरीकरण और सौंदर्यीकरण कार्य की शुरुआत की थी। दावा किया गया कि नगर पालिका ने इसके गहरीकरण और सौंदर्यीकरण को लेकर करीब 25 करोड़ रुपए का प्रस्ताव भी सरकार को भेजा है, जिससे आने वाले समय में जीवनदायनी सीवन नदी पानी से सराबोर रहेगी। सीवन उद्धार के लिए समिति भी बनी, काम भी शुरू हुआ, लेकिन विडम्बना यह है रही कि काम रफ्तार नहीं पकड़ सका। शहर में सीवन के पुरुष घाट पर खुदाई तो की लेकिन मलबा तक नहीं हटा सका। ऐसे में सीवन को जीवन मिले, इसकी कल्पना करना थोड़ा मुश्किल है। 

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